
International Journal of Linguistics and Computational Applications
Yazarlar: Guhanandan
Konular:-
DOI:10.30726/ijlca/v8.i3.2021.83006
Anahtar Kelimeler:आयाम,ेतना,िश्वप्रजापतित्व,पमिश्रण,ौगोलीकरण,वगमन,ंवेदनशीलता ।
Özet: अरुणकमल सत्तरोत्तर कवियों में प्रमुख और विशष्ट हैं । अंग्रेजी के प्राध्यापक होते हुए भी हिन्दी कविता में उनकी विशेष रुचि व आसक्ति बनी रही । समसामयिक मुद्दों को केंद्रित करके उन्होंने अपनी कविताओं का सृजन किया है । साम्यवादी विचारधारा परिपूर्ण प्रगतिवादी काव्य की विशेषताओं से अपने काव्य को समलंकृत करते हुए समसामयिक तत्वों को अपने काव्य का विषय बनाकर अपनी केवल धार से लेकर योगफल तक काव्य संग्रहों का प्रकाशन करवाया । उनका एक अनूदित काव्यसंग्रह ‘जब पुकारती है कोयल’है जोकि वियतनामी कवि ‘तो हू’ की प्रगतिवादी उद्गार व भावाभिव्यंजना थी । कवि की चेतना स्थानीय समसामयिक मुद्दों को विचार प्रदान करने से एक कदम आगे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को अपनी वाणी देना चाहती है । यह उनके अंतरराष्ट्रीय नागरिकता का परिचायक है । कवि अरुणकमल ने प्रगतिवादी कविता व समसामयिक कविता से अंतरराष्ट्रीय विचारधारा को निरूपित किया है । इस शोध-लेख का उद्देश्य है कि अरुणकमल की कविताओं में होनेवाली अंतरराष्ट्रीय चेतना प्रतिपादित हो ।